Wednesday, 14 December 2016

नारी अत्याचार पर कविता।

नारियों पर सरेआम अत्याचार हो रहे हैं।
एक लड़की को किस तरह हवस की शिकार बना ली जाती है। वो लड़की समाज में अपना अपमान होने से बचाने के लिए चुप रहकर जुल्म सहती रहती है।
नारियों पर हो रहे अत्याचार पर मेरी एक कविता पेश कर रहा हूँ।
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वो एक नही जो बे-आबरू हुई,
क्या हम सबकी रूह बेज़ार नहीं,
वो जो लुटी सर-ए-बाज़ार आज,
क्या वो इज्ज़त की हक़दार नहीं।
कितने ही दुर्शाशन खड़े,
पर कोई रखवाला गोपाल नहीं,
कहा छुप्पे तुम आज कृष्ण,
क्यों किया द्रौपदी पे आज उपकार नहीं।
लुटते, मरते सब देख रहे,
कर रहे सियासत इस पर भी,
ये कैसा हो गया देश मेरा,
यहाँ कोई भी शर्म सार नही।
उसकी सिर्फ आबरू नहीं लुटी,
उसकी रूह को चीरा है,
उसकी आँखों में दहशत है,
उसकी आहो में पीड़ा है।
वो शर्मनाक हरक़त वाले,
उन्हें इस पाप का अंजाम दो,
उसे मौत दो, उसे मौत दो,
वो दरिन्दे वो जानवर,
किसी माफ़ी के हक़दार नही।।
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Shree Ram Building Contractor
Ajitgarh (Sikar) Rajasthan

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