Friday, 30 December 2016

वो महाराणा प्रताप कहाँ ?....शौर्य गीत जय जय राजस्थान

भारत का एक मात्र महान योद्धा जिसने जंगलों में रहना स्वीकार करके मेवाड़ ही नहीं संपूर्ण देश के लिए मिशाल कायम की।

ममहाराणा प्रताप और सम्राट अकबर के बीच हल्दीघाटी का युद्ध महाभारत से कम नहीं था। हल्दीघाटी के युद्ध में अकबर के पास 80000 के लगभग सेना थी जबकि महाराणा प्रताप के साथ केवल 20000 ही सैनिक थे। 20000 सैनिक ही अकबर की सेना पर भारी रहे। युद्ध के मध्य से महाराणा प्रताप का सुरक्षित निकलने से अकबर जीतते हुए भी हार गया था।

याअकबर के आगे कभी नहीं झुकने वाला महाराणा प्रताप सभी के लिए आदर्श बने।

महाराणा प्रताप की वीरता को देखकर सम्राट अकबर ने भी अपनी मेवाड़ की भूमि पर आक्रमण करना छोड़ दिया था।

अकबर की इस घोषणा को सुनकर महाराणा प्रताप उदास हो गया था। वः इस प्रकार की मिट्टी से बना राजपूत था कि दुश्मन के द्वारा उदारता दिखाने पर खुश नहीं होता था।


जिसने हल्दीघाटी का युद्ध लड़ा।
वो चेतक का असवार कहाँ ?

माँ आपका वो पुत्र कहाँ ?
वो एकलिंग दीवान कहाँ ?
वो मेवाड़ का सरताज कहाँ ?
वो महाराणा प्रताप कहाँ ?

मैंने पढ़ा है इतिहासों में,
माँ आप ऐसे वीर पुत्र जन्मे।
आपकी आन बान ना लजाकर,
रणभूमि के सरदार बने।।
शत्रुओं से घिर जाने पर भी,
वो नर उनके आगे झुके नहीं।

हिन्दुओ का सूरज.....मेवाड़ का वो रत्न कहाँ ?

माँ आपका वो पुत्र कहाँ ?
वो एकलिंग दीवान कहाँ ?
वो मेवाड़ का सरताज कहाँ ?
वो महाराणा प्रताप कहाँ ?

हल्दीघाटी की ये मिटटी केसर चंदन,
इससे तिलक करो करो इस मिटटी को वन्दन।
यह युद्ध भूमि एक तीर्थ भूमि है,
इसके दर्शन करने को मन ललचाता है।।
उन वीर सूरमा की याद दिलों में जोश जगा जाती है।।

स्वामी भक्त चेतक के टापों की टप टप की आवाज कहाँ ?

माँ आपका वो पुत्र कहाँ ?
वो एकलिंग दीवान कहाँ ?
वो मेवाड़ का सरताज कहाँ ?
वो महाराणा प्रताप कहाँ ?

उसने जितने संकट के दिन देखे थे,
वो आज कोन देख पायेगा।
अब वो राणा की संतान रहे नहीं,
जो हरे घास की रोटी खायेगा।।

अपने संकट को वरदान समझकर,
आजादी की रक्षा करने वाला।
मेवाड़ भूमि लाज रखने वाला,
वो कब था झुकने वाला।।

चरणों में धन रखने वाला......वो भामाशाह आज कहाँ ?

माँ आपका वो पुत्र कहाँ ?
वो एकलिंग दीवान कहाँ ?
वो मेवाड़ का सरताज कहाँ ?
वो महाराणा प्रताप कहाँ ?

भाई शक्तिसिंह शत्रुओं से मिलकर,
भाई से युद्ध करने को आया।
राणा के देख भाई चारे प्रेम को,
शक्तिसिंह भी था शरमाया।।

ओ नीला घोडा का असवार,
आप रुक जाओ आप रुक जाओ।
आकर चरणों में गिर गया शक्तिसिंह,
बोला मैं हूँ बहुत पछताया।।

इस तरह गले मिले वो भाई...राम - भरत का मिलन यहाँ।

माँ आपका वो पुत्र कहाँ ?
वो एकलिंग दीवान कहाँ ?
वो मेवाड़ का सरताज कहाँ ?
वो महाराणा प्रताप कहाँ ?

रण बीच घिर गया जब बोला,
सुनो आप रण से जाओ भाई।
महाराणा का मुकुट रखा अपने शीश पर,
झालावाड़ नरेश मन्ना जी नर वीर।।

राणा का भाला ऐसा चमका,
जैसे बिजली कड़कती चमकी।
बहते नाले को पार किया,
यह धरती भी तब दहल गई।।

अभिमानी का दृश्य देखने.....जगत में ऐसा इंसान कहाँ ?

माँ आपका वो पुत्र कहाँ ?
वो एकलिंग दीवान कहाँ ?
वो मेवाड़ का सरताज कहाँ ?
वो महाराणा प्रताप कहाँ ?

हल्दीघाटी के किले से,
शिव पार्वती युद्ध देख रहे।
मेवाड़ के वीरों की ताकत,
अपनी नजरों से देख रहे।।

बोले शिवजी सुनो पार्वती,
मेवाड़ भूमि की बलिहारी।
जो अच्छे कर्म करे जग में,
जन्म ले यहाँ ऐसे नर नारी।।

मैं काल एकलिंग रूप धरे......बैठा हूँ सदियों से यहाँ।

माँ आपका वो पुत्र कहाँ ?
वो एकलिंग दीवान कहाँ ?
वो मेवाड़ का सरताज कहाँ ?
वो महाराणा प्रताप कहाँ ?

अपनी मानवता का धर्म निभाया है,
भेदभाव कभी जाना नहीं है।
सेनानायक सूरी हकीम ने,
राणा से कर्ज चुकाया है।।

जात पात ऊंच नीचता की बातें,
इनके भी मन में नहीं आई है।
इसी कारण राणा की प्रभुता,
जग में गई दरशाई है।।

उस सम्प्रदाय में सदभावना की....मिशाल है आज यहाँ ?

माँ आपका वो पुत्र कहाँ ?
वो एकलिंग दीवान कहाँ ?
वो मेवाड़ का सरताज कहाँ ?
वो महाराणा प्रताप कहाँ ?

अरे आज देश की सीमा पर,
संकट के बादल मंडराये हैं।
ये पाकिस्तान के घुसपैठिये,
भारत की सीमा में घुस आये हैं।।

भारत के वीर जवान हो तुम,
इनको ये सबक सिखा देना।
हम हैं महाराणा प्रताप के वंशज,
इनको ये बतला देना।।

कश्मीर भारत का है.....कोन आँख दिखाये आज यहाँ ?

माँ आपका वो पुत्र कहाँ ?
वो एकलिंग दीवान कहाँ ?
वो मेवाड़ का सरताज कहाँ ?
वो महाराणा प्रताप कहाँ ?

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Ajitgarh (Sikar) Rajasthan

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Manish Saini 

Jagdish Puri Mod, Shahpura Road,

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Monday, 19 December 2016

भांगडली सरणाई रे शिव थारा नैना म......शिव भजन

अरजी सुणज्यो जीतपुरार थे तो भूतों के सरदार,
थारी महिमा अपरंपार धतूरों बोयो बन म, धतूरों बोयो बन म।
भांगडली सरणाई रे शिव थारा नैना म।।

था र बैला की असवारी म्हाने ला ग बहोत सुप्यारी,
नाग बिराजै गल म, धतूरों बोयो बन म।
भांगडली सरणाई रे शिव थारा नैना म।।

थारी महिमा अपरंपार धतूरों बोयो बन म, धतूरों बोयो बन म।
भांगडली सरणाई रे शिव थारा नैना म।।

था र गौरा छ अर्धङ्ग शंकर नित उठ पीवो भंग,
भष्मी रामाओ तन म, भष्मी रामाओ तन म।
भांगडली सरणाई रे शिव थारा नैना म।।

थारी महिमा अपरंपार धतूरों बोयो बन म, धतूरों बोयो बन म।
भांगडली सरणाई रे शिव थारा नैना म।।

था र डम डम डमरू बाजै, था र पगां घूघरा बाजै,
गिरजा सोहे संग म, नारी सोहे संग म।
भांगडली सरणाई रे शिव थारा नैना म।।

थारी महिमा अपरंपार धतूरों बोयो बन म, धतूरों बोयो बन म।
भांगडली सरणाई रे शिव थारा नैना म।।

अरजी सुणज्यो जीतपुरार थे तो भूतों के सरदार,
थारी महिमा अपरंपार धतूरों बोयो बन म, धतूरों बोयो बन म।
भांगडली सरणाई रे शिव थारा नैना म।।
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Sunday, 18 December 2016

तेरे दर पे आये हैं....(दुर्गा माता का भजन)

ओ मेरी शेरावाली माँ,  तेरे दर पर आए हैं ।
भर दे सबकी झोली , बडी दूर से आए हैं ॥

तू सबकी दाती मा हम सब तेरे भिखारी
हम दर-दर भटके मा तू करती सेर सवारी

तेरे दर पे मा हम नतमस्तक होने आए हैं----
शेरावाली मां ........!!

कोई कहे तुझे दुर्गा मां कोई कहे भवानी
तु सबसे बलशाली री मां कोई तेरा सानी

दिखा दे दर्श री मां ये आस लेकर आए है
शेरावाली मां तेरे दर .......!!

कोई नहीं मेरा अपना मां एक तु है सहारा
सब द्वारो मे मां एक प्यारा तेरा द्वारा

धर दे सिर पे हाथ री माँ तेरा आशीष पाने आए हैं
शेरावाली माँ तेरे दर.......!!

झुका तेरे चरणों मे माँ तेरी दया री पाया है
हम सब पे री मां तेरे आंचल छाया है

देवसर अाली मां हमने चहुं ओर तेरे दीप जलाए है

शेरावाली माँ तेरे...........।।

आओ मोहन मदन मुरारी.......! कृष्ण भजन Shree Ram Building Contractor

आओ मोहन मदन मुरारी रे।
बृज क मांही बाट निहारे सखियाँ सारी रे।।

जमुना जी के तट पर मोहन सखियाँ सारी आई,
चम्पा चमेली छैल छबीली ले री सब अँगड़ाई।
संग में आगी राधा प्यारी रे,
बृज क मांही बाट निहारे सखियाँ सारी रे।।

आओ मोहन मदन मुरारी रे।
बृज क मांही बाट निहारे सखियाँ सारी रे।।

धेनु चराओ रास रचाओ आओ नन्द किशोर,
रुक्मण के भरतार कन्हैया राधा के चित्त चोर।
थां पर जावां मे बलिहारी रे,
बृज क मांही बाट निहारे सखियाँ सारी रे।।

आओ मोहन मदन मुरारी रे।
बृज क मांही बाट निहारे सखियाँ सारी रे।।

सखियाँ हुई अधीर कन्हैया बेगा सा थे आओ,
ग्वाल बाल न संग म लेकर बृज म रास रचाओ।
थांकी बंशी कामन गारी रे,
बृज क मांही बाट निहारे सखियाँ सारी रे।।

आओ मोहन मदन मुरारी रे।
बृज क मांही बाट निहारे सखियाँ सारी रे।।
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गायक -  नाथूसिंह शेखावत
बाड़ी जोड़ी (शाहपुरा) जयपुर
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Wednesday, 14 December 2016

नारी अत्याचार पर कविता।

नारियों पर सरेआम अत्याचार हो रहे हैं।
एक लड़की को किस तरह हवस की शिकार बना ली जाती है। वो लड़की समाज में अपना अपमान होने से बचाने के लिए चुप रहकर जुल्म सहती रहती है।
नारियों पर हो रहे अत्याचार पर मेरी एक कविता पेश कर रहा हूँ।
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
वो एक नही जो बे-आबरू हुई,
क्या हम सबकी रूह बेज़ार नहीं,
वो जो लुटी सर-ए-बाज़ार आज,
क्या वो इज्ज़त की हक़दार नहीं।
कितने ही दुर्शाशन खड़े,
पर कोई रखवाला गोपाल नहीं,
कहा छुप्पे तुम आज कृष्ण,
क्यों किया द्रौपदी पे आज उपकार नहीं।
लुटते, मरते सब देख रहे,
कर रहे सियासत इस पर भी,
ये कैसा हो गया देश मेरा,
यहाँ कोई भी शर्म सार नही।
उसकी सिर्फ आबरू नहीं लुटी,
उसकी रूह को चीरा है,
उसकी आँखों में दहशत है,
उसकी आहो में पीड़ा है।
वो शर्मनाक हरक़त वाले,
उन्हें इस पाप का अंजाम दो,
उसे मौत दो, उसे मौत दो,
वो दरिन्दे वो जानवर,
किसी माफ़ी के हक़दार नही।।
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Tuesday, 13 December 2016

झूला झूले रे बजरंगी हनुमान......!

भजन सालासर बालाजी
बालाजी मंदिर सालासर (चुरू) राजस्थान
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झूला झूले रे बजरंगी हनुमान।
     झुलावे माता अंजना।।

चेत सुदी पूनम मंगल का जन्म वीर ने पाया,
तेज प्रताप मुख मंडल ओर नाम मारुती पाया।

माता मन हरसाये रे... देखे हनुमान,
       झुलावे माता अंजना।।

झूला झूले रे बजरंगी हनुमान।
      झुलावे माता अंजना।।

देख बलैया हनुमान का बार बार मुख चूमे,
गोद उठाये मात अंजना अंग नैया में घूमे।

खेले होठों पे.... जो मोहनी मुस्कान,
       झुलावे माता अंजना।।

झूला झूले रे बजरंगी हनुमान।
    झुलावे माता अंजना।।

पहले अनुसूया घर झूले अब मिला फिर अवसर,
आज अंजनी माँ के घर पलने में शिव शंकर।

माँ की ममता में.... बसे रे भगवान,
    झुलावे माता अंजना।।

झूला झूले रे बजरंगी हनुमान।
    झुलावे माता अंजना।।

आज अजन्मा जगत में जन्मा अजब निराली माया,
प्रातः की लाली ले के सवेरा इस धरती पर आया।

मंगलकारी रे.... बलकारी हनुमान,
      झुलावे माता अंजना।।

झूला झूले रे बजरंगी हनुमान।
    झुलावे माता अंजना।।

सालासर का बजरंग बाला भक्तों का रखवाला,
भक्तों ऐसा ना देखा दूजा वीर निराला।

करूँ बेधड़क..... बालाजी का गुणगान,
       झुलावे माता अंजना।।

झूला झूले रे बजरंगी हनुमान।
    झुलावे माता अंजना।।

अंजनी माँ का लाला है ये देव बड़ा मतवाला,
सालासर में आप विराजै है भक्तों का रखवाला।

भक्त पुकारे रे.... आजा रे हनुमान,
      झुलावे माता अंजना।।

झूला झूले रे बजरंगी हनुमान।
      झुलावे माता अंजना।।

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Friday, 9 December 2016

कटती गाय करे पुकार

गाय को भारत में माता कहा जाता है।
पहली रोटी गाय को दी जाती है कि सभी देवताओं को भोग लगे।

वर्तमान समय में गाय की हालत देखकर ऐसा लगता है जैस भारत में कोई गाय की पुकार नहीं सुनता।

इसी पर आधारित यह कविता पेश है।



अंग अंग में देवता, बहे दूध की धार ||
वैतरणी दे पार कर, पूजे सब संसार ||

युगों-युगों से गौमाता
हमें आश्रय देते हुए
हमारा लालन-पालन
करती आ रही है

हमारी जन्मदात्री माँ तो
हमें कुछ ही बरस तक
दूध पिला सकी
परन्तु यह पयस्विनी तो
जन्म से अब तक
हमें पय-पान कराती रही

हमारी इस नश्वर काया
की पुष्टता के पीछे है
उसके चारों थन
जिस बलवान शरीर
पर हमें होता अभिमान
वह विकसित होता
इस गोमाता के समर्पण से

क्योंकि उसने अपने
बछ्ड़े का मोह त्यागकर
ममता से हमें केवल
दूध ही नहीं पिलाया
बल्कि हमें अपनाया भी

वह गोमाता जिसके हर अंग में
बिराजते हैं देवता तैतीस करोड़
जो दिखाती हमें स्वर्ग की राह
जिसकी पूंछ पकड़कर
पार होते हम भवसागर
वह स्वयं में भी है
ममता का अथाह सागर

बदले में हम उसे क्या दे पाए
वही सूखा भूसा
वही सीमित चूनी
हरे चारे के नाम पर सूखी घास
वह तो यह भी सह लेती
यदि हम दे पाते उसे
थोड़ी सी पुचकार थोड़ा प्यार
थोड़ी सी छाँव के साथ
अपना सामीप्य और स्नेह

उसने तो हमें अपना लिया
अपने बछ्ड़े तक उसने किये समर्पित
हमारा बोझ उठाने को
परन्तु क्या हम उसे अपना पाए
जब तक मिला ढूध
उसे तभी तक पाला
और जब सूखा दूध
उसे कौडियों में बेच डाला
और ढूंढने लगे दुधारी गाय

आखिर हमें दुधारी गाय ही
क्यों भाती है
क्या गोबर वरदान नहीं
क्या गोमूत्र अमृत नहीं

वह तो देवी ठहरी
पर हममें से कुछ एक
मानव हैं या दानव
जो मात्र आहार के निमित्त
गाय का वध तक कर देते
और दुहाई देते कुरीतियों की
व्यर्थ तर्क-वितर्क करते

अभी समय है सुधर जाएँ
सम्मान दें गौ-माता को
प्रोत्साहन दें गोपालकों को
यदि हम नहीं चेते समय रहते
तो शायद इतिहास में हम ही ना रहें |

माता वध सम गोकुशी, निंदनीय यह काज |
जग में जो ऐसा करे, उसको त्यागौ आज ||

Thursday, 27 October 2016

सोशल मीडिया की हकीकत

आज हम आपको सोशल मीडिया पर फेसबुक की कुछ हकीकत दिखा रहे हैं।

"लोगो के मनोरंजन का साधन बन चुका है सोशल मीडिया" यह तो सभी ने सुना होगा।
हम आपको फेसबुक पर कुछ लोगों की स्थिति बताते हैं।
तीखी मिर्ची,
विवेक हिन्दू,
विवेक पंडित,
सनकी लड़का हिन्दू,
मीनाक्षी मित्तल,
Netu Gottam Pandit,
Roshan Lal Navik,
Vicky Shukla,
ये सभी गाली - गलौच करने में माहिर हैं।
इनको ये पता नहीं है कि फेसबुक पर अभद्र शब्द कहना कानूनी जुर्म है। ये सब किसके कहने पर ऐसा करते हैं जल्द ही पता चल जायेगा।
ये लोग किसी को भी अपना शिकार बना लेते हैं। हद तो तब हो गई जब इन्होंने बिना वजह ही मनीष सैनी को अपना शिकार बना लिया। मनीष सैनी ने इनको जवाब ना देकर इनके अभद्र शब्दों की फोटो उतार ली।

हम उनके द्वारा कहे गए शब्दों की फोटो दिखा रहे हैं।

Thursday, 25 August 2016

Shree Ram Building Contractions Contractor

हमारे यहाँ सभी प्रकार के मकानों एवं बिल्डिंगों का वाष्तु-शात्र के नक्शे के अनुसार संतोषजनक कार्य किया जाता है।

Jagdish Puri Mod,
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