Sunday, 22 January 2017

गणतंत्र दिवस पर क्रन्तिकारी बलिदानियों की ओजस्विनीपूर्ण कविता।

भारत माता तेरे हर एक लाल को मैं भुलाऊँ कैसे ?
अब तुम ही बताओ मैं गणतंत्र दिवस मनाऊँ कैसे ?

प्राणों पर खेलकर हिन्दू धर्म को बचाने वाला सम्राट था।
अरब तक राज करने वाला उज्जैन का विक्रमादित्य था।।

अंतिम सांस तक मुगलों से लड़ा वह महाराणा प्रताप था।
झुका नहीं कभी वो भी स्वाभिमानी राजपूत सरदार था।।

मुगलों से छुड़ाया अपना देश वीर शिवाजी महाराज था।
हिन्दुओं का आदर्श महापुरुष वीर मराठा सरदार था।।

काल्पी की लड़ाई लड़ने वाली बुंदेलखंड की महारानी थी।
खूब लड़ी रणचण्डी बनकर वह तो अमर बलिदानी थी।।

सत्तावन के आंदोलन में महानायक तांत्या टोपे और मंगल थे।
लक्ष्मी बाई नाना साहेब के साथ स्वतंत्रता की कमान थामे थे।।

लाजपतराय का बदला लेने को साण्डर्स को मारा आजाद था।
असेम्बली में बम फोड़कर सरकार की बुनियाद को हिलाया था।।

फांसी पर झूला था वीर सपूत संग झूले थे राजगुरु सुखदेव।
भारत माता के खुनी आँचल को रोने लगे थे सब देख।।

भगतसिंह आजाद को भूलकर कर दिया दुनिया से न्यारा।
माता तेरे ही एक पूत को बना दिया पिता सब का प्यारा।।

लाल पाल बाल तेरी गोदी में समाकर सो गए सीना तान।
बनाई थी सेना बोस ने आजाद कराने भारत महान।।

कहने को तो बिस्मिल डाकुओं का सरदार बना था।
भूल गए उसने भी तुझ पर किया उपकार बड़ा था।।

गाँधी की हिन्दू मुस्लिम एकता को तोड़ने वाला हुतात्मा एक था।
गाँधी को मारकर भारत को टुकड़ो से बचाने वाला नाथूराम था।।

गद्दारों की लाशों को चंदन से जलते हुए देखा था।
हर क्रन्तिकारी को दहकते अंगारों पर चलते देखा था।।

अफजल की फाँसी पर भ्रष्ट नेताओं को कचहरी में रोते देखा था।
जो संसद की रक्षा में बलिदान हुए उनके घरों को रोते देखा था।।

भूली बिसरी एक कहानी अब फिर से सुनाऊँ कैसे ?
भारत माता तेरे जख्मों को अपने दिल में दफनाऊँ कैसे ?

भारत माता तेरे हर एक लाल को मैं भुलाऊँ कैसे ?
अब तुम ही बताओ मैं गणतंत्र दिवस मनाऊँ कैसे ?

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Manish Saini
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