ओ कल्कि कलयुग के अवतारी। - २
करके आजा अश्व सवारी।।
जिसके दर्शन को तरसे कोटि कोटि जीवधारी।
उसी धरा पर आ जाओ संभल के राजधारी।।
बीत गए युग तुम ना आये बनकर अवतारी.....
ओ कल्कि कलयुग के अवतारी। - २
करके आजा अश्व सवारी।।
भाई न भाई ना समझे ना माता पिता।
हिंदुओं की लाज बचाले आ गई कलयुगी विपदा।।
बीच राह तुझे पुकारे या लुटती अबला नारी.....
ओ कल्कि कलयुग के अवतारी। - २
करके आजा अश्व सवारी।।
अब रहा नहीं गायों का रखवाला।
चारों तरफ हो गया कत्लखानों में बोलबाला।।
कटती गायें तुझे पुकारे आजा मोहन मदन मुरारी.....
ओ कल्कि कलयुग के अवतारी। - २
करके आजा अश्व सवारी।।
तुम्हें पुकारे हम सब स्वामी तुम हो करुणा सागर।
घोर विपत्ति घनघोर अँधेरा है कलयुगी भवसागर।।
फंसे हैं मायाजाल भँवर में करके अत्याचारी.....
ओ कल्कि कलयुग के अवतारी। - २
करके आजा अश्व सवारी।।
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Ajitgarh (Sikar) Rajasthan
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