Monday, 23 January 2017

मैंने देखा है.....

हिन्दुस्तान की झलकती दिव्य झांकी देखा है।
उसकी छाया में पलते अपवादों को देखा है।।

कश्मीर में पंडितों को निर्दोष मारते हुए देखा है।
आतंकियों के सिर पर नेताओं का साया देखा है।।

हर मस्जिद में दफनाया हिन्दू मंदिर देखा है।
हिंदुओं को आपस में जातिगत भेदभाव करते देखा है।।

नेहरू को रंगीन रंगरेलियाँ मनाते देखा है।
ऐसे नापाक को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर देखा है।।

सीमा पर लड़ते मरते शहीद होते जवान देखा है।
भ्रष्टचार की होती उन पर राजनीती देखा है।।

नारियों की बिगड़ती सरेआम छवि देखा है।
ऐसे नराधमों नीच को महान बनते देखा है।।

बंगाल में मरे हिंदुओं का खून बहते देखा है।
ममता की मुस्लिम एकता की अखंडता देखा है।।

सिक्खों दंगे ताज होटल में बम फटते देखा है।
उस पर भ्रष्टाचार की रोटी सेंकते नेता देखा है।।

भारत माता के आंचल को धुलित होते देखा है।
भ्रष्ट नेताओं की चलती राजनीती देखा है।।

हिन्दुओ में एकता लाते हर मूर्ति को देखा है।
संविधान में लिखा "पंथनिरपेक्षता" देखा है।।

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Manish Saini ::
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Sunday, 22 January 2017

गणतंत्र दिवस पर क्रन्तिकारी बलिदानियों की ओजस्विनीपूर्ण कविता।

भारत माता तेरे हर एक लाल को मैं भुलाऊँ कैसे ?
अब तुम ही बताओ मैं गणतंत्र दिवस मनाऊँ कैसे ?

प्राणों पर खेलकर हिन्दू धर्म को बचाने वाला सम्राट था।
अरब तक राज करने वाला उज्जैन का विक्रमादित्य था।।

अंतिम सांस तक मुगलों से लड़ा वह महाराणा प्रताप था।
झुका नहीं कभी वो भी स्वाभिमानी राजपूत सरदार था।।

मुगलों से छुड़ाया अपना देश वीर शिवाजी महाराज था।
हिन्दुओं का आदर्श महापुरुष वीर मराठा सरदार था।।

काल्पी की लड़ाई लड़ने वाली बुंदेलखंड की महारानी थी।
खूब लड़ी रणचण्डी बनकर वह तो अमर बलिदानी थी।।

सत्तावन के आंदोलन में महानायक तांत्या टोपे और मंगल थे।
लक्ष्मी बाई नाना साहेब के साथ स्वतंत्रता की कमान थामे थे।।

लाजपतराय का बदला लेने को साण्डर्स को मारा आजाद था।
असेम्बली में बम फोड़कर सरकार की बुनियाद को हिलाया था।।

फांसी पर झूला था वीर सपूत संग झूले थे राजगुरु सुखदेव।
भारत माता के खुनी आँचल को रोने लगे थे सब देख।।

भगतसिंह आजाद को भूलकर कर दिया दुनिया से न्यारा।
माता तेरे ही एक पूत को बना दिया पिता सब का प्यारा।।

लाल पाल बाल तेरी गोदी में समाकर सो गए सीना तान।
बनाई थी सेना बोस ने आजाद कराने भारत महान।।

कहने को तो बिस्मिल डाकुओं का सरदार बना था।
भूल गए उसने भी तुझ पर किया उपकार बड़ा था।।

गाँधी की हिन्दू मुस्लिम एकता को तोड़ने वाला हुतात्मा एक था।
गाँधी को मारकर भारत को टुकड़ो से बचाने वाला नाथूराम था।।

गद्दारों की लाशों को चंदन से जलते हुए देखा था।
हर क्रन्तिकारी को दहकते अंगारों पर चलते देखा था।।

अफजल की फाँसी पर भ्रष्ट नेताओं को कचहरी में रोते देखा था।
जो संसद की रक्षा में बलिदान हुए उनके घरों को रोते देखा था।।

भूली बिसरी एक कहानी अब फिर से सुनाऊँ कैसे ?
भारत माता तेरे जख्मों को अपने दिल में दफनाऊँ कैसे ?

भारत माता तेरे हर एक लाल को मैं भुलाऊँ कैसे ?
अब तुम ही बताओ मैं गणतंत्र दिवस मनाऊँ कैसे ?

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Tuesday, 3 January 2017

देश प्रेम की धुन बजाता आज फिर निकला वीरों का डोला.......क्रन्तिकारी कविता

देश प्रेम की धुन बजाता आज फिर निकला वीरों का डोला।
संग में उनके मैं भी जाऊँ माँ मेरा भी रंग दे बसंती चोला।।

राजगुरु सुखदेव भगतसिंह दहाड़े थे आजाद बनकर सिंह।
मैं भी उनके पथ पर चलकर मनवाऊँ पाकिस्तान से लोहा।।

लाल पाल बाल बहादुर के जैसा मैं भी बन जाऊँ उन जैसा।
देश की खातिर प्राण त्यागकर बना लूँगा सुभाष की जैसी सेना।।

जब कभी हो खतरे में माता पलभर मुझको चैन ना आता।
टूट पडूंगा मैं दुश्मन पर निडर बाँध सीने पर बारूद का गोला।।

सबसे सुन्दर सबसे प्यारा दुनिया में जो सबसे न्यारा।
देश विदेश खिन नहीं मेरे भारत नाम का रोला।।

भारत माता जान से प्यारी इस पर वीरों ने अपनी जान वारी।
नजर उठाकर कोई जो देखे मैं बन जाऊंगा धहकता शोला।।

जब हाथ में लेकर चलूँ तिरंगा दुश्मन का मन क्यों होता गन्दा।
संग लड़ी थी आजादी की जंग खून भी सबके संग था खोला।।

एक आगमन था एक थी जननी फिर जाने क्यूँ दुश्मन बन बैठे।
संग में सारा हिन्दुस्तान मिल जाये मिट जाएगा आंतकवाद का रोना।।

देश प्रेम की धुन बजाता आज फिर निकला वीरों का डोला।
संग में उनके मैं भी जाऊँ माँ मेरा भी रंग दे बसंती चोला।।

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Sunday, 1 January 2017

ओ कल्कि कलयुग के अवतारी.....कल्कि अवतार भजन

ओ कल्कि कलयुग के अवतारी। - २
करके आजा अश्व सवारी।।

जिसके दर्शन को तरसे कोटि कोटि जीवधारी।
उसी धरा पर आ जाओ संभल के राजधारी।।

बीत गए युग तुम ना आये बनकर अवतारी.....

ओ कल्कि कलयुग के अवतारी। - २
करके आजा अश्व सवारी।।

भाई न भाई ना समझे ना माता पिता।
हिंदुओं की लाज बचाले आ गई कलयुगी विपदा।।

बीच राह तुझे पुकारे या लुटती अबला नारी.....

ओ कल्कि कलयुग के अवतारी। - २
करके आजा अश्व सवारी।।

अब रहा नहीं गायों का रखवाला।
चारों तरफ हो गया कत्लखानों में बोलबाला।।

कटती गायें तुझे पुकारे आजा मोहन मदन मुरारी.....

ओ कल्कि कलयुग के अवतारी। - २
करके आजा अश्व सवारी।।

तुम्हें पुकारे हम सब स्वामी तुम हो करुणा सागर।
घोर विपत्ति घनघोर अँधेरा है कलयुगी भवसागर।।

फंसे हैं मायाजाल भँवर में करके अत्याचारी.....

ओ कल्कि कलयुग के अवतारी। - २
करके आजा अश्व सवारी।।

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