गौमाता की पीड़ा
कृष्ण दुलारी कितनी खुश थी, नन्दगांव बरसाने में ।
कचरा खाती आज घूमती वही गाय वीराने में ।।
घर में रखा, देखभाल की, जब तक गाय ने दूध दिया ।।
सड़कों और गलियोँ में छोड़ा बेरहमी से त्याग दिया ।।
कील, प्लास्टिक, शीशा खाकर, मरने को मजबूर किया ।
तड़प, तड़प कर प्राण दिये, गाय ने क्या कसूर किया ।।
लाखों गाय कट रहीं निरंतर, हर कत्लखाने में ,
कृष्ण दुलारी कितनी खुश थी, नन्दगांव बरसाने में ।
कचरा खाती आज घूमती वही गाय वीराने में ।।
प्लास्टिक और कचरा मिल कर, जहर बना देते हैं ।
लाखों कीड़े अन्दर से हर पेट में पीड़ा देते हैं ।।
कष्ट, यातना देदेके, बीमार बना देते हैं ।
खड़ी नहीं रह सकती, इतना कमज़ोर बना देते हैं ।।
पेट में बच्चा खाए गंदगी, शेष नहीं कुछ खाने में ,
कृष्ण दुलारी कितनी खुश थी, नन्दगांव बरसाने में ।
कचरा खाती आज घूमती वही गाय वीराने में ।।
आखरी सांसे लेती लेती दुर्घटना में मरती है ।
कभी कभी गाय के ऊपर से पूरी गाड़ी गुज़रती है ।।
लहु लुहान होकर के फिर गौमाता आहें भरती है ।
रोयें सारे देवी देवता बेबस रोती धरती है ।।
कैसे कैसे जुल्म सहे हैं ऐसे बेदर्द ज़माने में ,
कृष्ण दुलारी कितनी खुश थी, नन्दगांव बरसाने में ।
कचरा खाती आज घूमती वही गाय वीराने में ।।
नन्दबाबा गौभक्त थे, लाखों गाय रखते थे ।
रघु असंख्य गायों का, पालन पोषण करते थे ।।
सारे हमारे ऋषि मुनि, गौ की सेवा करते थे ।
दूध की नदियां बहती थीं, सोने के खज़ाने भरते थे ।।
राम, कृषण दोनों जन्मे, गाय के घराने में ,
कृष्ण दुलारी कितनी खुश थी, नन्दगांव बरसाने में ।
कचरा खाती आज घूमती वही गाय वीराने में ।।
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Shree Ram Building Contractor
Ajitgarh (Sikar) Rajasthan.
: Manish Saini
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