तुम भूल गए शायद मुझको,
मैं झाँसी वाली रानी हूँ,
जो नपुंसकों पर भारी थी,
मैं वो मर्दानी हूँ।
लुटती अस्मत, लगती कीमत,
ये नारी की कैसी किस्मत ?
आजाद देश के वीरों से,
कुछ प्रश्न पूछने आई हूँ……!
तब आजादी की बीज बनी,
अब तुम्हें जगाने आई हूँ!!
आजाद देश में नारी गुलाम,
ये किसने रीत चलाई है,
क्या तुमने अब भी गद्दारों की,
चिता नहीं जलाई है ?
भारत की हर एक स्त्री को फिर,
लक्ष्मीबाई आज बना दो तुम।
सभी स्त्रियों के स्वाभिमान को,
फिर से आज जगा दो तुम।।
शस्त्र-शास्त्र से सुसज्जित कर दो,
हर-एक घर-आँगन को,
निडर और निर्भय कर दो,
देश के हर-एक वन-उपवन को।
बच्चों के खेल-खिलौनों में शामिल,
कर दो झाँसी की तलवार को।
बच्चों के नस-नस में भर दो,
निडरता और स्वाभिमान को।।
किताबों से बाहर निकालो मुझे और,
लिखने दो शौर्य गाथाएँ अपने घर-आँगन में।
ताकि तुम गर्व से कह सको कि,
मैं तेरी मनु -- छबिली हूँ……!
अब ढूँढो मुझको अपने घर-आंगन में,
मैं लक्ष्मीबाई अलबेली हूँ……!!
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Shree Ram Building Contractor ::
Ajitgarh (Sikar) Rajasthan
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