Saturday, 25 January 2020

तिरंगे में लिपट जाऊंगा,,,,क्रांतिकारी कविता,,,,,,

जब भी दुश्मन का मन डोलेगा गन्दा कभी।
बिजली बनकर उनको जला जाऊंगा।।

मेरा ईमान मेरा धर्म मेरा कर्म मेरा वतन।
ऐ वतन तुझपे कुर्बान सब कर जाऊंगा।

सीमा पर खड़ा रहूंगा बनकर चौकीदार मैं।
घुसपैठियों के सिर कलम कर जाऊंगा।।

गिरेगी लाशें तेरी गोद में वीरों की कभी।
दहकता शोला बनकर सब को जला जाऊंगा।।

क्या होती है महोब्बत वतन ऐ परस्तों।
मातृभूमि की रक्षा हेतु फांसी चुम जाऊंगा।।

आएगी दामन पर आंच कभी भारत माता।
मेरे लहू से तेरी मांग सजा जाऊंगा।।

करेगा दुश्मन घाव तेरे आँचल पर भारत माता।
दुश्मनों के नरमुंडों की जयमाला पहनाऊंगा।।

लडूंगा अंतिम सांस जब तक लहू रहेगा।
अखण्ड भारत में तिरंगा ध्वज लहराऊंगा।।

घिर जाऊंगा अकेला दुश्मनों में नगमे तेरे ही गाऊंगा।
गोद में सिर रखकर "मनीष" तिरंगे में लिपट जाऊंगा।।

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Shree Ram Building Contractor
Ajitgarh, Sikar Raj.